Friday, March 4, 2016

मार्गदर्शन:-कैसे करे एयरहोस्टेस की तैयारी। एयरहोस्टेस कैसे बने।



परिचय

एयर होस्टेस या केबिन क्रू की मुख्य जिम्मेदारी होती है कि हवाई यात्रा के दौरान किस तरह यात्रियों की यात्रा को सुखद बनाया जाए। लड़कियों के अलावा यहां लड़कों के लिए भी मौके हैं, जिन्हें फ्लाइट पर्सर कहा जाता है।

ट्रेनिंग प्रोग्राम

ट्रेनिंग के तहत 3 महीने, 6 महीने या 1 साल के डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स शामिल हैं। कुछ संस्थानों में एविएशन ऐंड हॉस्पिटैलिटी में एक वर्षीय पाठक्रम उपलब्ध है। एयर होस्टेस ट्रेनिंग प्रोगाम के तहत सामान्य तकनीकी पक्षों और नियम-कायदों के अलावा पर्सनैलिटी डेवलपमेंट पर काफी बल दिया जाता है। डिगरी मिलने के बाद नौकरी के लिए विभिन्न एयरलाइंस द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा (वैकल्पिक) से होकर गुजरना पड़ता है।

मार्गदर्शन - कैसे करें Fashion Designing की प्रवेश परीक्षा की तैयारी?


योग्यता

एयर होस्टेस बनने के लिए उम्मीदवारों को 12वीं उत्तीर्ण या ग्रेजुएट होना चाहिए। एयर होस्टेस बनने के लिए आयु सीमा 25 वर्ष से कम होनी चाहिए, जबकि कद कम से कम 5 फीट 2 इंच होना चाहिए। लड़कों का कद 5 फीट 7 इंच होना चाहिए। वजन भी कद के अनुसार होना चाहिए। आंखों की रोशनी 6/6 होनी चाहिए। अविवाहित होना भी जरूरी है। राष्ट्रीय भाषा के अलावा अंग्रेजी का ज्ञान भी आवश्यक है।

विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलजों में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती है, जो बैचलर स्तर की होती है। यहां दाखिला लेने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री तथा मैथमेटिक्स में 60 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं या समकक्ष परीक्षा पास होना जरूरी है। कोर्स की अवधि 4 वर्ष होती है। ज्वॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) के माध्यम से विभिन्न आईआईटी संस्थानों में प्रवेश मिलता है। इसके अलावा अन्य संस्थान अपनी-अपनी प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करते हैं।

कुछ संस्थान

इंदिरा गांधी इंस्टीटूट ऑफ एयरोनॉटिक्स, चंडीगढ़ व अन्य केंद्र
एयर होस्टेस ट्रेनिंग इंस्टीटूट, नई दिल्ली
किंगफिशर ट्रेनिंग एकेडमी, मुंबई
फ्रैंकफिन इंस्टीटूट ऑफ एयर होस्टेस ट्रेनिंग, नई दिल्ली

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग

विमानों के रख-रखाव और मरम्मत के लिए एयरोनॉटिकल इंजीनियरों की जरूरत पड़ती है।

पाठक्रम का स्वरूप

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में विमान के विभिन्न कलपुर्जों और साथ ही उनकी बनावट के बारे में जानकारी दी जाती है। उड़ान भरने की क्षमता, विमान की गति, ईंधन आदि विषयों का ज्ञान भी इसके तहत दिया जाता है।

एयरोनॉटिकल सोसाइटी

छात्र एयरोनॉटिक सोसाइटी ऑफ इंडिया की परीक्षा देकर भी इस क्षेत्र में कैरियर बना सकते हैं। सोसाइटी द्वारा ही उनकी इंडस्ट्रियल टे्रनिंग की व्यवस्था की जाती है। इसके एसोसिएट सदस्य गेट (ग्रेजुएट एप्टीटूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग) जैसी परीक्षा में भाग लेकर एमई/एमटेक आदि कोर्स कर सकते हैं।

मुख्य संस्था

आईआईटी, कानपुर, मुंबई, खड़गपुर
इंडियन इंस्टीटूट ऑफ एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, देहरादून
पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़,
एयरपोर्ट और एयरलाइन एजेंसियों के लगातार होते विस्तार के कारण इसके मैनेजमेंट से संबंधित प्रोफेशनल्स की भी बड़ी संख्या में जरूरत बनी रहती है। इसके तहत कस्टमर केयर, टिकटिंग, फ्रंट ऑफिस, हॉस्पिटैलिटी, ट्रैवल ऐंड टूरिज्म, सिक्योरिटी, फैसिलिटी मैनेजमेंट आदि क्षेत्र आते हैं।

योग्यता और कोर्स

एयरपोर्ट मैनेजमेंट से संबंधित विभिन्न कोर्स उपलब्ध हैं, जिसके लिए कुछ संस्थान शैक्षणिक योग्यता 12वीं मानते है, जबकि कुछ ग्रेजुएशन। इसमें डिप्लोमा और पीजी डिप्लोमा दोनों ही तरह के कोर्सेज उपलब्ध हैं।

एयरपोर्ट मैनेजमेंट से जुड़ा कोई पाठक्रम करके छात्र एयरलाइंस, टिकटिंग सेंटर, होटल, ट्रैवल एजेंसी, एयरपोर्ट, टूरिस्ट सेंटर आदि जगहों पर जॉब पा सकते हैं।

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